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भेदती है दृष्टि इनकी डंक बिच्छू के सदृश ही, स्

भेदती   है  दृष्टि इनकी डंक बिच्छू के सदृश  ही,
स्पर्श अंतस  को चुभे ज्यूँ शर हजारों हों नुकीले।
धुत रहें ये काम धुन में पर पीर दिखती है कहाँ ही।
चूर मद में भ्रमर   दूषित   पार करके  हद   सभी ।

©Sneh Lata Pandey 'sneh'
  #rosepetal #दूषित भावना