सही मायनों में बदलाव तब है जब आस पास का वातावरण एक जैसा हो, तो क्या हुआ अगर खेत की जगह जंगल हो गया अगर तो? क्या ज़मीन ने उसे सींचना छोड़ दिया या पेड़ पौधों की प्रकृति ही बदल गई । लोग सांस तो ले रहे हैं मगर ये हवा में आग सिर्फ एक ही के कारण नहीं। सम्मलित और संकलित दृष्टिकोण में यदि विपर्यता है तो जैसी परिस्थिति के अनुसार पृष्ठभूमि बनी हो तो फसल उसी अनुरूप आपको मिलती है। ज्ञान वही है मगर विद्या अगर कुछ और है जिससे आप क्रियाकाल्पिक हैं और उसमें कहीं दोषित ज्ञान या विद्या सम्मिलत हो जाए तो संकीर्णता और स्तर में गिरावट निश्चित ही है । आईना वही है मगर यदि आईने से पहले शीशा है तो आईना भी अपनी प्राकृतिकता विपरीत ही दर्शाता है । ये मन भी लिया जाए की एक घड़ा ही मिट्टी है तो सबके लिए उसे मानना सुलभ है मगर ये कहा जाए की मिट्टी ही कपड़ा है और कपड़ा ही घड़ा है तो ये सबके लिए बराबर सोचने से परे है की कैसे? तेल क्यों कपड़े को गीला करता है जबकि तेल गीला नही करता कपड़े को, सोखता है और फिर कुछ वक्त पश्चात् उड़ भी जाता है । मगर सिर्फ तेल ऐसा गर्म स्थिति में करता है या यूं ही । जवाब है यूं ही भी करता है । तेरा बदला बदला अंदाज़... #बदलाअंदाज़ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi