ये तल्खी ये अदावत किसलिए, है गर मोहब्बत तो बगावत किसलिए। चाहता है उसे गर जान से ज्यादा तिरी जान पर आई आफत किसलिए। मर्ज़ की दवा वही मर्ज़ की वजह वही जख्म देकर देता है फिर राहत किसलिए। कहते हैं मय है बड़े काम की चीज है फिर ये बुरी आदत किसलिए। मुफलिस का हर रोज़ ही रमज़ान है होती है यहा इफ्तारी दावत किसलिए। गिरवी है कबाले जान-ओ-जायदाद तक, करवाए ये इंतकाल-ए-विरासत किसलिए। बरकत रहे उनकी भी जुबां पर 'तरूण' दिए जा रहे हर बात पर हिदायत किसलिए। कबाले - property related papers इंतकाल - Transfer of name #inspirational #ghazal #shayari #yqbhaijan #hindiurdu #shayar #urdupoetry #tarunvijभारतीय YourQuote Bhaijan