#अतिरिक्त.... मेघों ने.. अतिरिक्त जल बरसा दिया..! धरा ने भी, कुछ जल कर अवशोषित/संग्रहित.. अतिरिक्त, बहा दिया..। सागर सहर्ष समाहित करता रहा.... सबका अतिरिक्त..! और होता गया दिन-ब-दिन खारा..! तुम्हारे कंधों पर सिर टिकाते ही.. न जाने क्यों.. वही खारापन पाती हूँ ।। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #अतिरिक्त.... मेघों ने.. अतिरिक्त जल बरसा दिया..! धरा ने भी, कुछ जल कर अवशोषित/संग्रहित..