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ईश्वरीय प्रेम में प्रकृति इक ऐसी सम्पूर्ण प्राकृ

ईश्वरीय प्रेम में 
प्रकृति 
इक ऐसी
सम्पूर्ण प्राकृतिक 
संज्ञा बन जाती है
 जिसे
 किसी अतिरिक्त 
विशेषण की 
आवश्यकता नहीं होती 
और 
 सुनो स्त्री ! सुनो शक्ति..
सुनो खुद को ज़रा
 तुम वही प्रकृति हो ...!
तुम वही प्रेम हो
 जिससे
 ईश्वर को प्रेम है....!!
        -Anjali Rai सच कहूं
तुम वही प्रकृति हो ...!
तुम वही प्रेम हो 
 जिससे
 ईश्वर को प्रेम है....!!          
❤️❤️❤️❤️❤️
और सुन गुड़िया तू अपनी दोनों नन्ही हथेलियों 
में हमेशा प्रेम इकठ्ठा करना ताकि जब भी इस दुनिया को जरूरत पड़े तुम वहीं प्रेम बिखेर देना .....
ईश्वरीय प्रेम में 
प्रकृति 
इक ऐसी
सम्पूर्ण प्राकृतिक 
संज्ञा बन जाती है
 जिसे
 किसी अतिरिक्त 
विशेषण की 
आवश्यकता नहीं होती 
और 
 सुनो स्त्री ! सुनो शक्ति..
सुनो खुद को ज़रा
 तुम वही प्रकृति हो ...!
तुम वही प्रेम हो
 जिससे
 ईश्वर को प्रेम है....!!
        -Anjali Rai सच कहूं
तुम वही प्रकृति हो ...!
तुम वही प्रेम हो 
 जिससे
 ईश्वर को प्रेम है....!!          
❤️❤️❤️❤️❤️
और सुन गुड़िया तू अपनी दोनों नन्ही हथेलियों 
में हमेशा प्रेम इकठ्ठा करना ताकि जब भी इस दुनिया को जरूरत पड़े तुम वहीं प्रेम बिखेर देना .....