ईश्वरीय प्रेम में प्रकृति इक ऐसी सम्पूर्ण प्राकृतिक संज्ञा बन जाती है जिसे किसी अतिरिक्त विशेषण की आवश्यकता नहीं होती और सुनो स्त्री ! सुनो शक्ति.. सुनो खुद को ज़रा तुम वही प्रकृति हो ...! तुम वही प्रेम हो जिससे ईश्वर को प्रेम है....!! -Anjali Rai सच कहूं तुम वही प्रकृति हो ...! तुम वही प्रेम हो जिससे ईश्वर को प्रेम है....!! ❤️❤️❤️❤️❤️ और सुन गुड़िया तू अपनी दोनों नन्ही हथेलियों में हमेशा प्रेम इकठ्ठा करना ताकि जब भी इस दुनिया को जरूरत पड़े तुम वहीं प्रेम बिखेर देना .....