difference between reality and dreams *सबक* ****** रात मैंने आसमां को … एक सबक सिखला दिया , उसका कुछ सामां इधर कुछ उधर को खिसका दिया ... चांद कुछ टेढ़ा सा था तारें थे ज्यादा घने , कुछ में रोशनी अधिक थी कुछ थे शायद अधखिले ... चांद को सीधा किया तारों को कुछ छितरा दिया, अंजुरी में भर के कुछ को जमीं पर बिखरा दिया .... तारों को पाकर जमीं तो सच में ही मुस्का गई मानो ना मानो मगर वो गीत मेरे गा गई ... पर…! ये तो बस एक ख्वाब था ख्वाबों की क्या बिसात है ये जिंदगी के हाथ था कभी बिखरा दिया , कभी छिटका दिया....!! ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) difference between reality and dreams *सबक* ****** रात मैंने आसमां को … एक सबक सिखला दिया , उसका कुछ सामां इधर कुछ उधर को खिसका दिया ... चांद कुछ टेढ़ा सा था तारें थे ज्यादा घने , कुछ में रोशनी अधिक थी कुछ थे शायद अधखिले ...