मुक्तक -------- हालातों से जूझता हरपल रहा मैदान में धब्बा लगने ना दिया पर आभा की शान में। साजिशें उसको बुझाने की हुई काफी मगर था दीया जिद्दी बहुत जलता रहा तूफान में।। सुनील कुमार कर्दम कर्मवीर