तैर रहे है इनके कुछ अधूरे सपने 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 , तैर रहे है इनके कुछ अधूरे सपने डूब रहे है इनके सब यहाँ अपने, पानी प्रवाह संग चलता जा रहा है, चाहकर भी साहिल को न पाता है, खाने-पीने और सोने के लाले पड़े, न कुछ है यहाँ इनका तन ढकने।। कभी दो बूंद पानी को है तरसते, कभी मेघ कहर बनकर है बरसते, जब ये सैलाब उमड़कर आता है, भयानक तबाही को संग लाता है, याद आते , सियासत के झूठे वादे, मदद मांगे क्या, बदल चुके है इरादे।। ये व्यथित मन बारम्बार पुकारे, या मौला बचा ले अब तू बिहारे, न कोई इनका दुखड़ा सुनता है, न कोई इनकी झोली को भरता है, सब यहाँ अपना ही स्वार्थ सिद्दते, दीन-निर्धन कभी ना ऊपर उठते।। --Vimla Choudhary 22/8/20 #तैर रहे है इनके कुछ अधूरे सपने#