मिट्टी से सिंचित जग का विद्यांचल दिखता कितना सुंदर छोटी छोटी पुष्प कमल।। मन को सीचे जैसे कल कल शीतल जल अद्भुत कृति से सुसज्जित ईश्वर की है अंचल।। जाने कैसे निर्माण किए समय हवा और जल जिसके बिना ना चाले जीव जगत का एक पल।। धरती धरा धरे रहेंगे अहंकार रखो न दिल के अंदर आज यहां हो कल कहां होगे जाने कौन अगला पल।। ©sandeep #poem #kahani #Jingdi #Muhabbat #L♥️ve #dharm #Drops