मैं जीत बनूं या मैं हार बनूं मैं ख़ास बनूं या मैं आम बनूं मैं सुबह की अजान बनूं या शाम की आरती संख्नाद बनूं मैं बनूं श्याम बंसीवाला या फिर बनूं पर्वतदिकार अल्लाह ताला, बस अमन बसे हर दिल में, चाहे रहीम बनूं या राम बनूं मैं जीत बनूं या मैं हार बनूं ©bluntpoet Abhijeet Yadav मैं जीत बनूं या मैं हार बनूं मैं ख़ास बनूं या मैं आम बनूं मैं सुबह की अजान बनूं या शाम की आरती संख्नाद बनूं मैं बनूं श्याम बंसीवाला या फिर बनूं पर्वतदिकार अल्लाह ताला,