Nojoto: Largest Storytelling Platform

पहचाना क्या सर मुझे, बारिश में आये हम कपड़े थे ख़

पहचाना क्या सर मुझे, बारिश में आये हम 
कपड़े थे ख़राब और बालों  के ऊपर पानी.
पलभर बैठा, फिर हंसा, बोला ऊपर देखकर ,
गंगामाई घर पर आई, गई चार दिन रहकर,
दिल खोल के चार दीवारों पर नाची,
खाली हाथ जाएगी कैसे लेकिन बीवी मेरी बच गयी.
दीवार टूट गई, चुल्ला भुज गया, सब कुछ लेके गई,
प्रसाद समज कर आंखो मैं पानी उतना छोड़ गई l
घरवाली को साथ मैं लेके अब लड़ रहा हूँ,
टूटी हुई दीवार ठीक कर रहा हूँ,गिली रेती निकल रहा हू.
जेब की तरफ हाथ जाते ही जल्दबाजी से उठ गया,
पैसा नहीं चाहिए सर,थोडा अकेलापन महसूस हुआ।
टूट के पड़ा है संसार फिर भी टूटी नहीं हिम्मत 
पीठ पर हाथ रखकर सिर्फ लड़ बोलो

©MR.1478
  कुसुमाग्रज
yogeshbochare3458

Mrs.1478

Bronze Star
New Creator

कुसुमाग्रज #विचार

329 Views