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पापा की परियों पर खूब चुटकुले चलते हैं, पर कभी आपन

पापा की परियों पर खूब चुटकुले चलते हैं, पर कभी आपने सोचा है बेटियों को अपने ही माता पिता से मिलने वाले प्रेम को इतना glorify क्यो करने की जरूरत पड़ती है। बेटों को क्यो कभी ये साबित नहीं करना पड़ता कि वो अपने माता पिता के कितने दुलारे हैं? जवाब है कि उनको सदियो से ही जन्म से अधिकार और प्यार मिला है। घी का लड्डू टेढो मीठ जिनके लिए कहा गया हो उन्हें अपनी उपयोगिता साबित करने की जरूरत ही क्या है। वह लायक हो तब तो अच्छा है ही, पर यदि वह शराबी, जुआरी, बलात्कारी, हत्यारा, लुटेरा हो तब भी अंत में उसके हाँथ की मुखाग्नि पाकर माता पिता को स्वर्ग मिल जाता है। तमाम ग्रन्थ, व्रत, उपवास, प्रतीक  पुत्र होने को अलौकिक और अदभुद सिद्ध करने में जुटे हैं। कुछ माता पिता जो कहते हैं " हम तो लड़का लड़की में कोई भेद नहीं करते" उनसे अगर कोई सम्पति में हिस्सा देने की बात कर दे तो उनकी परम्परा और संस्कृति खतरे में आ जाती है। वो दो बीघा जमीन बेच कर लड़की की शादी तो कर देंगे, लेकिन 1 बीघा बेच कर न उनको पढ़ा पाएंगे, न उनके नाम कर पाएंगे। आज भी बेटियां अपने ही अधिकारों से वंचित हैं तो इसके जिम्मेदार जितना समाज है उतना ही उनके माता पिता भी हैं।

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  पापा की परी.
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पापा की परी. #विचार

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