आईना ही है जो चेहरे की हकीकत से रूबरू कराता है। कभी देखकर आइने में खुद को ही पहचान नहीं पाते है। तन्हाइयों में होते हैं तो आईना ही हमारा साथ निभाता है। आइना ही है जो हमारी बढ़ती उम्र का अहसास कराता है। आईने में देखकर ही हम सजते सँवरते और श्रृँगार करते हैं। आईना ही तो हमें हमारे चेहरों की कमियाँ को दिखाता है। A challenge by Collab Zone🌟 ✔️समय - ५ फरवरी शाम ५ बजे तक ✔️ ६ पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है । ✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।