तभी छोटा बेटा भागता आ कमरे में आया (अनुशीर्षक) केवल गुलाल नहीं, शब्दों संग भी होली मनाएेंगे साथ रंग पिचकारी हम तो,डायरी भी लाऐंगे लिखेंगे लिखवाऐंगे , पढे़ंगे पढ़वाऐंगे कविताओं की नदियों में डुबकी लगाएेंगे मोल की नहीं,घर में ही चाट पकोडी़ गुँजिया बनाऐंगे लक्कड़ से नहीं हम तो, पापों की होलिका जलाऐंगे (Pankaj jain)