मेरी दुआ पल्लव की डायरी अपनी जिंदगी सम्हालने घर की चौखट लाँघ गया दुनिया के विकाश में लय मिलाकर घर परिवार सब ठुकरा गया बौने से लगते सब रिश्ते नाते मात पिता दुश्मन लगते है उनकी दुआ और आशीर्वाद मेरी हस्ती के सामने फीके लगते है पैसो की खनक में सलाम हजारो लोग मुझे करते है मगर आज बेगाना तड़प भारी है महामारी की चपेट में तन्हा होकर अपनो को ढूढ रहा हूं सारी तरक्की को लात मारकर अपानी सांसे बचाने के लिये अपनो की दुआ ढूढ रहा हूं प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" अपनो की दुआ ढूढ रहा हूं #PoetInYou