जिंदगी के उस मोड़ पे हूं जहां *मसीहाई को छोड़ दिया जब तार तार हुए रिश्ते,तो करना तुरपाई को छोड़ दिया/१/ सांसों की बुझी राख में तपिश ही तपिश है, इक ना आशना से*आशनाई को छोड़ दिया//२ तेरे*तासुब_ए_फसाद का अब क्या हिसाब रखना ,जा मस्त रह,हमने तेरी*रहनुमाई को छोड़ दिया//३ ऐ नामवर! तु दुनियां की निगाहों में कभी अच्छा नहीं,रहा अब तेरी*मुफलिस*रिआया को तुने तन्हाई में छोड़ दिया//४ *गमें हयात के*दरिया की कोई हद नहीं होती,ये डूब के मर जाए ,तूने इतनी गहराई को छोड़ दिया//५ अपने*मख़्सूस खुदा की हर *रजा़ में"शमा राजी रही, कि जालिमाना*तशददुद में अब *परसाई को छोड़ दिया//६ ShamawritesBeba ©shama writes Bebaak जिंदगी के उस मोड़ पे हुं जहा*मसीहाई करना छोड़ दिया,जब तार तार हुए रिश्ते,तो करना तुरपाई को छोड़ दिया/१/ *अवतारी करना*सिलाई सांसों की बुझी राख में तपिश ही तपिश है,इक ना आशना से*आशनाई को छोड़ दिया//२*दोस्ताना तेरे*तासुब_ए_फसाद का अब क्या हिसाब रखना,जा मस्त रह,हमने तेरी*रहनुमाई को छोड़ दिया//३ *भेदभावी झगड़े* नेतरत्व