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जय श्री कृष्ण ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust आज

जय श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust आज है रंगभरी या आमलकी एकादशी, जानें व्रत पारण का समय व नियम
आमलकी या रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। आंवले के वृक्ष में भगवान श्री हरि का निवास होता है। इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान श्रीहरि का पूजन किया जाता है। इसे आमला एकादशी या आंवला एकादशी भी कहते हैं। एकादशी तिथि के दिन किसी को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
आमलकी या रंगभरी एकादशी व्रत पारण के नियम-

एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
एकादशी व्रत पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले पहले कर लेना चाहिए। 
एकादशी व्रत पारण हरि वासर के वक्त नहीं करना चाहिए हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को कहते हैं।
एकादशी व्रत तोड़ने का सबसे अच्छा समय प्रातः काल का होता है।
जय श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust आज है रंगभरी या आमलकी एकादशी, जानें व्रत पारण का समय व नियम
आमलकी या रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। आंवले के वृक्ष में भगवान श्री हरि का निवास होता है। इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान श्रीहरि का पूजन किया जाता है। इसे आमला एकादशी या आंवला एकादशी भी कहते हैं। एकादशी तिथि के दिन किसी को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
आमलकी या रंगभरी एकादशी व्रत पारण के नियम-

एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
एकादशी व्रत पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले पहले कर लेना चाहिए। 
एकादशी व्रत पारण हरि वासर के वक्त नहीं करना चाहिए हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को कहते हैं।
एकादशी व्रत तोड़ने का सबसे अच्छा समय प्रातः काल का होता है।