White रिश्तों का दिखावा रिश्तों की परतें खोली जब, हर परत पर दिखावा पाया। सच्चाई के नाम पर केवल, झूठ का ही चोला पाया। चेहरों पर मुस्कान सजी थी, मन में खामोशी गहरी। शब्दों में मिठास भरी थी, पर भावनाएं थीं ठहरी। कसमों के वादे थे झूठे, सपनों की बातें अधूरी। हर तरफ बस स्वार्थ बसा था, चाहत की चमक थी धुंधली। सवाल ये मन में उठता है, क्यों रिश्ते अब ऐसे हो गए? दिल की सच्चाई खोकर सब, क्यों बस मुखौटे हो गए? कह दो इनसे सच्चा होना, दिखावे से कुछ न होगा। रिश्ते तभी महकेंगे, जब दिल से जुड़ने का होगा। ©Bijendra Singh Pal #Sad_Status Kartik Aaryan Extraterrestrial life Entrance examination Aaj Ka Panchang Islam vinay panwar