वक्त कहता है तुझको भुला कर नई जिंदगी की शुरुआत करूँ, दिल कहता है कि सारी की सारी जिंदगी तुझ पर निसार करूँ। तुमको भूल न पाएँगे तुमको भुलाना मेरे बस की बात ही नहीं है, तू मेरी किस्मत में ही नहीं शायद लेकिन ये मैं कैसे स्वीकार करूँ। जानता है तू तेरे बगैर मेरा इस दुनिया में कोई भी वजूद ही नहीं है, तेरे बगैर ही जीना पड़ेगा मुझे इसके लिए दिल को कैसे तैयार करूँ। मेरी हर सांस मेरे दिल की हर धड़कन में बस तू ही तू समाया है, अपनी सांसे और अपनी धड़कनों को जिंदगी से कैसे बेजार करूँ। तेरी चाहत की खुशबू से महकता है मेरा जीवन और सांसे चलती है, तेरी चाहत के बगैर मैं कैसे अपनी चाहत की दुनिया को गुलजार करूँ। तेरी वफाओं के सहारे से और तेरी वजह से ही मैं अब तक जिंदा हूँ, तेरी वफाओं को भुलाकर जिंदगी मैं किसी और के नाम कैसे करूँ। ♥️ Challenge-980 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।