हिंदी होती है सदा, प्रेम भाव आधार। सुंदर शोभित वाक्य दें,अटल ज्ञान भंडार। अटल ज्ञान भंडार,रही भाषा की जननी। प्रांजलि का अभिमान,यही है भाषा अपनी। भाषा की सिरमौर,लखे मस्तक में बिंदी। छोड़ो सोच विचार,पढ़ो बच्चों नित हिंदी। हिंदी माता सम सदा,देती अनुपम ज्ञान। हिंदी पढ़ पढ़ के बने,तुलसी दास महान। तुलसी दास महान,लिखी प्रभुवर की माया। करने जग उद्धार,रखी मानव की काया। होता विधिवत ज्ञान,समझ कामा वा बिंदी। आती लेखन धार,रचो रचना नित हिंदी।। ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम ©Om Prakash Shrivastava हिंदी ज्ञान भंडार #worldhindiday