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शब्द रूपी पुष्पों से सज्जित , आज तथा कल रखता हूँ


शब्द रूपी पुष्पों से सज्जित ,
आज तथा कल रखता हूँ

लेखक हूँ मैं , 
शब्दों का विस्तृत गुणन फल रखता हूँ ,

मर्म मेरा शब्दों में ढलकर 
बन पलकों से धार बहे 
झरने सा निर्मल हृदय ,
ना द्वेष कलह छल रखता हूँ ,

लेखक हूँ मैं ,
शब्दों का विस्तृत गुणन फल रखता हूँ ,

- नौशाद सदर ख़ान

 
शब्द रूपी पुष्पों से सज्जित ,
आज तथा कल रखता हूँ
लेखक हूँ मैं , 
शब्दों का विस्तृत गुणन फल रखता हूँ ,

कभी तृप्त हूँ , मैं तृष्णा में 
कभी सूखे में जल रखता हूँ ,

शब्द रूपी पुष्पों से सज्जित ,
आज तथा कल रखता हूँ

लेखक हूँ मैं , 
शब्दों का विस्तृत गुणन फल रखता हूँ ,

मर्म मेरा शब्दों में ढलकर 
बन पलकों से धार बहे 
झरने सा निर्मल हृदय ,
ना द्वेष कलह छल रखता हूँ ,

लेखक हूँ मैं ,
शब्दों का विस्तृत गुणन फल रखता हूँ ,

- नौशाद सदर ख़ान

 
शब्द रूपी पुष्पों से सज्जित ,
आज तथा कल रखता हूँ
लेखक हूँ मैं , 
शब्दों का विस्तृत गुणन फल रखता हूँ ,

कभी तृप्त हूँ , मैं तृष्णा में 
कभी सूखे में जल रखता हूँ ,

शब्द रूपी पुष्पों से सज्जित , आज तथा कल रखता हूँ लेखक हूँ मैं , शब्दों का विस्तृत गुणन फल रखता हूँ , कभी तृप्त हूँ , मैं तृष्णा में कभी सूखे में जल रखता हूँ ,