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पल्लव की डायरी अदावत मेरी, सिर चढ़कर बोल रही थी गुल

पल्लव की डायरी
अदावत मेरी,
सिर चढ़कर बोल रही थी
गुलाबी रंग में लिपटकर
तूती सब जगह बोल रही थी
बड़े बड़े लोगो के साथ
नोट दो हजार की मौज उड़ रही थी
सोलह में  हुआ नया जन्म
तेईस में एक्सपायरी लिख डाली
मतलब सियासी निकल गया
तो रद्दी जैसी हालत कर डाली
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Budget23 रद्दी जैसी हालत कर डाली
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