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दुष्ट सियार एक अंधेरवन नाम का जंगल था जिस जंगल में

दुष्ट सियार
एक अंधेरवन नाम का जंगल था जिस जंगल में सीताराम नाम का भेड़िया राज किया करता था 
उस भेड़िए के दरबार में बहुत से जानवर राजा के सलाहकार थे परन्तु एक चतुर सियार भी था जो राजा को कुछ समझने ही नहीं देता था।  राजा उस सियार की बातो पर ही अमल किया करता था। सियार के दिन राजा की छत्र छाया में बढ़िया से कट रहे थे। जो राजा के लिए आता उसमे से उसका भी गुजर बसर हो जाता और उसने जंगल के दो चार बड़े बड़े जानवरों को अपनी तरफ मिला लिया था। अब राजा जब भी उसकी बात नहीं मानता तो वो उनका डर दिखा देता और अपनी बात मनवा लेता ।राजा के दरबार का कोई मंत्री राजा को कोई बात समझने की कोशिश करता तो वह उनको बड़े जानवरो से पिटवा देता इस प्रकार सभी इस आस में बैठे थे कि कैसे भी ये राजा चला जाए और नया राजा आ जाये
तो इनकी सारी परेशानियां ख़तम हो जाएगी। 
भगवान उनकी बात सुन लेता है और वहां का राजा परेशान होकर वहां से भाग कर दूसरे जंगल में चला जाता है और फिर राज्य में एक शेरनी आती है वहां पर राजा नहीं होता है तो वह वहां की रानी बन जाती है। सियार को इस बात की खबर लगते ही वह दौड़ा दौड़ा चला आता है और साथ में जंगल के बड़े जानवरो को भी लाता हैं । रानी को एक एक कर सब से परिचित करवाता है । इस तरह वह रानी पर भी अपना दबाव बना लेता है । अपने शासन के शुर में रानी सब की बात सुनती थी परन्तु अब केवल सियार की बात सुनती है ………………………
 
शिव सुन्दर  सोलंकी #वास्तविक कहानी दुष्ट सियार 
इसमें पात्रों को बदल दिया गया है

          एक अंधेरवन नाम का जंगल था जिस जंगल में सीताराम नाम का भेड़िया राज किया करता था 
उस भेड़िए के दरबार में बहुत से जानवर राजा के सलाहकार थे परन्तु एक चतुर सियार भी था जो राजा को कुछ समझने ही नहीं देता था।  राजा उस सियार की बातो पर ही अमल किया करता था। सियार के दिन राजा की छत्र छाया में बढ़िया से कट रहे थे। जो राजा के लिए आता उसमे से उसका भी गुजर बसर हो जाता और उसने जंगल के दो चार बड़े बड़े जानवरों को अपनी तरफ मिला लिया था। अब राजा जब भी उसकी बात नहीं मानता तो वो उनका डर दिखा देता और अपनी बात मनवा लेता ।राजा के दरबार का कोई मंत्री राजा को कोई बात समझने की कोशिश करता तो वह उनको बड़े जानवरो से पिटवा देता इस प्रकार सभी इस आस में बैठे थे कि कैसे भी ये राजा चला जाए और नया राजा आ जायेगा तो इनकी सारी परेशानियां ख़तम हो जाएगी। 
भगवान उनकी बात सुन लेता है और वहां का राजा परेशान होकर वहां से भाग कर दूसरे जंगल में चला जाता है और फिर राज्य में एक शेरनी आती है वहां पर राजा नहीं होता है तो वह वहां की रानी बन जाती है। सियार को इस बात की खबर लगते ही वह दौड़ा दौड़ा चला आता है और साथ में जंगल के बड़े जानवरो को भी लाता हैं । रानी को एक एक कर सब से परिचित करवाता है । इस तरह वह रानी पर भी अपना दबाव बना लेता है । अपने शासन के शुर में रानी सब की बात सुनती थी परन्तु अब केवल सियार की बात सुनती है ………………………
दुष्ट सियार
एक अंधेरवन नाम का जंगल था जिस जंगल में सीताराम नाम का भेड़िया राज किया करता था 
उस भेड़िए के दरबार में बहुत से जानवर राजा के सलाहकार थे परन्तु एक चतुर सियार भी था जो राजा को कुछ समझने ही नहीं देता था।  राजा उस सियार की बातो पर ही अमल किया करता था। सियार के दिन राजा की छत्र छाया में बढ़िया से कट रहे थे। जो राजा के लिए आता उसमे से उसका भी गुजर बसर हो जाता और उसने जंगल के दो चार बड़े बड़े जानवरों को अपनी तरफ मिला लिया था। अब राजा जब भी उसकी बात नहीं मानता तो वो उनका डर दिखा देता और अपनी बात मनवा लेता ।राजा के दरबार का कोई मंत्री राजा को कोई बात समझने की कोशिश करता तो वह उनको बड़े जानवरो से पिटवा देता इस प्रकार सभी इस आस में बैठे थे कि कैसे भी ये राजा चला जाए और नया राजा आ जाये
तो इनकी सारी परेशानियां ख़तम हो जाएगी। 
भगवान उनकी बात सुन लेता है और वहां का राजा परेशान होकर वहां से भाग कर दूसरे जंगल में चला जाता है और फिर राज्य में एक शेरनी आती है वहां पर राजा नहीं होता है तो वह वहां की रानी बन जाती है। सियार को इस बात की खबर लगते ही वह दौड़ा दौड़ा चला आता है और साथ में जंगल के बड़े जानवरो को भी लाता हैं । रानी को एक एक कर सब से परिचित करवाता है । इस तरह वह रानी पर भी अपना दबाव बना लेता है । अपने शासन के शुर में रानी सब की बात सुनती थी परन्तु अब केवल सियार की बात सुनती है ………………………
 
शिव सुन्दर  सोलंकी #वास्तविक कहानी दुष्ट सियार 
इसमें पात्रों को बदल दिया गया है

          एक अंधेरवन नाम का जंगल था जिस जंगल में सीताराम नाम का भेड़िया राज किया करता था 
उस भेड़िए के दरबार में बहुत से जानवर राजा के सलाहकार थे परन्तु एक चतुर सियार भी था जो राजा को कुछ समझने ही नहीं देता था।  राजा उस सियार की बातो पर ही अमल किया करता था। सियार के दिन राजा की छत्र छाया में बढ़िया से कट रहे थे। जो राजा के लिए आता उसमे से उसका भी गुजर बसर हो जाता और उसने जंगल के दो चार बड़े बड़े जानवरों को अपनी तरफ मिला लिया था। अब राजा जब भी उसकी बात नहीं मानता तो वो उनका डर दिखा देता और अपनी बात मनवा लेता ।राजा के दरबार का कोई मंत्री राजा को कोई बात समझने की कोशिश करता तो वह उनको बड़े जानवरो से पिटवा देता इस प्रकार सभी इस आस में बैठे थे कि कैसे भी ये राजा चला जाए और नया राजा आ जायेगा तो इनकी सारी परेशानियां ख़तम हो जाएगी। 
भगवान उनकी बात सुन लेता है और वहां का राजा परेशान होकर वहां से भाग कर दूसरे जंगल में चला जाता है और फिर राज्य में एक शेरनी आती है वहां पर राजा नहीं होता है तो वह वहां की रानी बन जाती है। सियार को इस बात की खबर लगते ही वह दौड़ा दौड़ा चला आता है और साथ में जंगल के बड़े जानवरो को भी लाता हैं । रानी को एक एक कर सब से परिचित करवाता है । इस तरह वह रानी पर भी अपना दबाव बना लेता है । अपने शासन के शुर में रानी सब की बात सुनती थी परन्तु अब केवल सियार की बात सुनती है ………………………

#वास्तविक कहानी दुष्ट सियार इसमें पात्रों को बदल दिया गया है एक अंधेरवन नाम का जंगल था जिस जंगल में सीताराम नाम का भेड़िया राज किया करता था उस भेड़िए के दरबार में बहुत से जानवर राजा के सलाहकार थे परन्तु एक चतुर सियार भी था जो राजा को कुछ समझने ही नहीं देता था। राजा उस सियार की बातो पर ही अमल किया करता था। सियार के दिन राजा की छत्र छाया में बढ़िया से कट रहे थे। जो राजा के लिए आता उसमे से उसका भी गुजर बसर हो जाता और उसने जंगल के दो चार बड़े बड़े जानवरों को अपनी तरफ मिला लिया था। अब राजा जब भी उसकी बात नहीं मानता तो वो उनका डर दिखा देता और अपनी बात मनवा लेता ।राजा के दरबार का कोई मंत्री राजा को कोई बात समझने की कोशिश करता तो वह उनको बड़े जानवरो से पिटवा देता इस प्रकार सभी इस आस में बैठे थे कि कैसे भी ये राजा चला जाए और नया राजा आ जायेगा तो इनकी सारी परेशानियां ख़तम हो जाएगी। भगवान उनकी बात सुन लेता है और वहां का राजा परेशान होकर वहां से भाग कर दूसरे जंगल में चला जाता है और फिर राज्य में एक शेरनी आती है वहां पर राजा नहीं होता है तो वह वहां की रानी बन जाती है। सियार को इस बात की खबर लगते ही वह दौड़ा दौड़ा चला आता है और साथ में जंगल के बड़े जानवरो को भी लाता हैं । रानी को एक एक कर सब से परिचित करवाता है । इस तरह वह रानी पर भी अपना दबाव बना लेता है । अपने शासन के शुर में रानी सब की बात सुनती थी परन्तु अब केवल सियार की बात सुनती है ………………………