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हवा थी शैतान हूं लो शरीफ बन गया हूं मैं, विनम्र,मृ

हवा थी शैतान हूं लो शरीफ बन गया हूं मैं,
विनम्र,मृदुभाषी,मृदुल,विनीत बन  गया  हूं  मैं ,
इस शराफ़त क़े चोले में क्या से क्या बन गया हूं मैं
शैतान था तो इंसान था अब गधा  बन गया हूं मैं //

भावार्थ = ज़ब व्यक्ति अपना स्वभाव बदलकर नया चौला ओढ़ लेता है तो वो अपनी वास्तविकता से भी दूर हो जाता है | आप जैसे हैँ वैसे बनकर रहें//
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©अर्जुन भैरव 
  #Sunrise