भोर की भीनी भीनी धूप ओस पर भीगे उसके कदम नूपुर का वो मीठा स्वर इठलाती उसकी हंसी पल भर रुक जाए नयन वही मिश्रित है उसकी छवि # भीनी भीनी धूप