•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• चांद तू कुछ कुछ मेरे सनम सा लगता है कभी भोला भाला, कभी गुस्से वाला लगता है रोज उसके जेसे रूप बदलता है कभी सामने से तो कभी, बादलों की ओट में से छुप छुप कर मिलता है Dr.Vishal Singh #yosimwrimo में आज के simile #challenge में #चाँद पर लिखें। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #चाँद