दस्तक ना सही ठोकर ही दे दो , बस मुझ पे सरसरी नज़र ही दे दो l बड़े दिनों तक दर-ब-दर भटका हूं मैं , अब इसे कोई टूटा -सा घर ही दे दो ll -डाॅ. विभु दस्तक