रफ्ता-रफ्ता वोह मेरी दौलत बना देखते ही देखते आंखों का पानी हो गया। जिसके लिए था मैं एक खूबसूरत कहानी देखते ही देखते मैं बंजर कहानी हो गया। वैसे तो खुद के ही अंदर जप्त था सदियों से मैं देखते ही देखते दुनिया में नामी हो गया। उसने सिखलाया मुझे खुशहाल जिंदगी क्या चीज है पर देखते ही देखते मैं गमगीन जिंदगानी हो गया। ©नितीश निसार #जिंदगानी