इस नग्न गगन की घटा में हूँ, महकी महकी सी हवा में हूँ, सर-सर-सर करते हैं पत्ते मैं इन पत्तों की ज़ुबाँ में हूँ, तेरे रोज़े की जाली में, उगते सूरज की लाली में, तेरे पैरों में सजी हुई महकी सी रंगे हिना में हूँ। Is nagn gagan ki #yqbaba #yqdidi #yqhindipoetry #yqlove #yourquote