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पल्लव की डायरी धरती से उड़ाओ गुलाल ,आज आसमान भी नाच

पल्लव की डायरी
धरती से उड़ाओ गुलाल
,आज आसमान भी नाचेगा
मस्ती के रंग में रंगेगा जो
उसका दिल भी गायेगा
मन नही बहके जिसका
वह किया दिल वाला कहलायेगा
छिपकर बैठे है जो घरों में
उनके धड़कनों में किया प्यार समायेगा
जो ओढ़े है नफरतों को उनको
यह होली का उत्सव हुड़दंग समझ आयेगा
मिटा दे सब दूरियाँ, ऊँच नीच की
आज सारा भारत एक नजर आयेगा
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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