मेरे आशूँ का हिसाब तो देखो जो बिहार ना सही बँगाल मे हि बर्षा बेहिसाब हुयी कौन कहता है। दिल टुटता है। तो अवाज नही होती अरे यारो अवाज ना सही बरबाद है। तेरा शहर मुन्नी गूप्ता