बहुत समय हो चला अब,चलो कुछ किया जाये! पिंजरे से अब उस पक्षी को, अज़ाद किया जाये! न जाने कब से जमे हुए है, होठो पर सन्नाटे कुछ करे कि अब फ़िर दुबारा हँसा जाये! -Raghav Raghuvanshi Zindagi fir ek baar aaja...