मुझे पसंद नहीं था जिंदगी की दास्तान छुपाना हर पत्तों पर अपने कहानी लिखती गई पौधो का वो झुरमुट हर राहगीर को आकर्षित करता गया कहानी पढ़कर हर कोई तसल्ली देता मै उनकी आंखों और चेहरे को पढ़ती वो जुबान की भाषा से मेल नहीं खाती सूखते पत्तो पर दो बूंद पानी डालने की हैसियत किसी मैं नही थी मौका पाते ही पत्तो को तोड़कर पांव से रौंदने की जिज्ञासा बढ़ती चली जाती मेरी हार और जीत का सवाल था दिल रोता गया आंसू निकलते गए पता नही कब ये आंसू जड़ को सींचने लगे और फिर सूखे हुए पत्ते हरे भरे होकर फिर से लहराने लगे और जड़े मजबूत होकर शाखाओं की ऊंचाई बढ़ाने लगे अब भी मेरी कहानी हर पत्ते पर थी और उन पत्तो को छुने की ताकत किसी मैं न थी नीलम ©neelam Arora #kavita #heart touching #writer.. neelam arora #Lohri