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मन बहुत घबरा रहा ..............…......... अश्क आ

मन बहुत घबरा रहा 
..............….........

अश्क आंखों से निकलता जा रहा
आज  मेरा  मन  बहुत  घबरा रहा !

टूट कर  बिखरी कई  लड़ियां यहां ,
फूल  गुलशन  में  कहीं मुरझा रहा !

सामने  आकर   कयामत  है  खड़ी ,
थाह जीवन का न  अबतक पा रहा !

देखकर  मंजर   सिसकती  कामना ,
वक्त  हाथों  से  फिसलता  जा  रहा !

आह   भरकर   जिंदगी  कटती  नहीं ,
क्या करूं कुछ भी समझ ना आ रहा !

है   सितारों   से   भरा   ये   आसमां ,
पर  न  कोई  आज  दिल बहला रहा !

मांग  कर   मन्नत   मुरादें   थक  गई ,
स्वप्न  आंखों  में  अभी   लहरा  रहा !

अशांत (पटना)

©Ramshloksharmaashant कविता

#COVIDVaccine
मन बहुत घबरा रहा 
..............….........

अश्क आंखों से निकलता जा रहा
आज  मेरा  मन  बहुत  घबरा रहा !

टूट कर  बिखरी कई  लड़ियां यहां ,
फूल  गुलशन  में  कहीं मुरझा रहा !

सामने  आकर   कयामत  है  खड़ी ,
थाह जीवन का न  अबतक पा रहा !

देखकर  मंजर   सिसकती  कामना ,
वक्त  हाथों  से  फिसलता  जा  रहा !

आह   भरकर   जिंदगी  कटती  नहीं ,
क्या करूं कुछ भी समझ ना आ रहा !

है   सितारों   से   भरा   ये   आसमां ,
पर  न  कोई  आज  दिल बहला रहा !

मांग  कर   मन्नत   मुरादें   थक  गई ,
स्वप्न  आंखों  में  अभी   लहरा  रहा !

अशांत (पटना)

©Ramshloksharmaashant कविता

#COVIDVaccine