मन बहुत घबरा रहा ..............…......... अश्क आंखों से निकलता जा रहा आज मेरा मन बहुत घबरा रहा ! टूट कर बिखरी कई लड़ियां यहां , फूल गुलशन में कहीं मुरझा रहा ! सामने आकर कयामत है खड़ी , थाह जीवन का न अबतक पा रहा ! देखकर मंजर सिसकती कामना , वक्त हाथों से फिसलता जा रहा ! आह भरकर जिंदगी कटती नहीं , क्या करूं कुछ भी समझ ना आ रहा ! है सितारों से भरा ये आसमां , पर न कोई आज दिल बहला रहा ! मांग कर मन्नत मुरादें थक गई , स्वप्न आंखों में अभी लहरा रहा ! अशांत (पटना) ©Ramshloksharmaashant कविता #COVIDVaccine