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दहलीज पर ख्याल चढ़ते हैं, अनजाने सपनों की डगर प




दहलीज पर ख्याल चढ़ते हैं,
अनजाने सपनों की डगर पर चलते हैं।
उम्मीद की बूंदें गिराते हैं,
आशाओं की धुंध से लड़ते हैं।

दहलीज पर सपनों का इंतजार है,
क्या पार करेंगे, या उलझेंगे इसमें।
उम्मीदों के तारों की किरणें,
राह में चमकती हैं, ख्वाबों में लिपटी हैं।

पलकों की परत पर ख्वाब सजते हैं,
मन के कोने में ख़याल उभरते हैं।
विचारों के प्रकाश में जलते हैं,
अजनबी यूँही आगे बढ़ते हैं।

दहलीज पर ख्याल छानते हैं,
कल्पनाओं की उड़ान भरते हैं।
हौसलों की पंक्तियों में लिखे,
सपनों की कविता पढ़ते हैं।

दहलीज पर ख्याल आवाज़ देते हैं,
जीवन की सिमटी राहें खोलते हैं।
स्वप्नों की आंधी से उठते हैं,
खुद को नए आसमानों में ढोलते हैं।

दहलीज पर ख्यालों की छांव है,
आशाओं का एक आधार है।
हौसलों की उचाईयों की पगड़ी है,
सपनों का एक संकेत है।

©aditi jain
  #दहलीज  jameel Khan Senty Poet Chouhan Saab AK Haryanvi Raj Sabri