"काश..मन की सुन ले" अधूरी ख्वाहिशें ,अधूरे ख्वाब कुछ-कुछ फिजा भी है अधूरी कुछ-कुछ अधूरे हैं हम भी कहीं कहीं पूरे भी नही हैं आप "काश" की गिनती है की बढ़ रही है हर दिन अपने आप समझौते कदम कदम पे करने लगा तू क्या था और क्या होने लगा इच्छाओं का गला क्यों घोट दिया ऐसा क्या था जिसने तेरे पैरों को रोक दिया निराशाओं को वापस तू मोड़ दे ,किश्तों में यूं जीना तू छोड़ दे खुलकर हँस ऐसे कि जैसे, अपना ही सारा जमाना है गम की रातों को तो ढल जाना है सूरज संग सुख को तो अब उग आना है आधी बीत गई ,आधी उम्र अब बाकी है समझौते तो खूब किए, उनसे तुझे क्या हासिल है मन शांत क्यों नहीं रहता ,सुकून अंदर अब क्यों बसता नहीं ,क्यों एक दिन भी ऐसा गुजरता नहीं,जब मन खुद से "काश"कहता नहीं अब तो मन की सुन ले यार , खुद से कर ले थोड़ा प्यार औरों के लिए तो खूब जिया तू ,अब तो खुद के लिए तू जी ले यार #विकास #NightPath मन की सुन ले यार