बोसा लेने दो, मुझे कुछ ख़ता करने दो, बाद में मना लूँगा, पहले खफ़ा करने दो। जान मेरी दूँ क्या अब तुझे, तेरी ही है वो, आज जान तेरी ले लूँ, मुझे जफ़ा करने दो। होंठो की लाली रंगत फीकी पड़ने लगी है, लबों के तबीब को, इनकी दवा करने दो। क्या क़यामत हो तुम, क्या बेमिसाल हुस्न है, बाँधों ना जुल्फें , बिखराकर शेफ़ता करने दो। तूने दिया है मुझको सब, अपनी अस्मत भी, आज 'कुमार' को सब हक्क अदा करने दो। #kumaarsthought #kumaarromance #kumaarerotica #erotica_hindi #erotica #एहसासऔरतुम तबीब - चिकित्सक शेफ़्ता - मंत्रमुग्ध