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बचपन से लेकर आजतक जिस औलाद को जान से बढ़कर चाहा वो

बचपन से लेकर आजतक
जिस औलाद को जान से बढ़कर चाहा
वो आज हमें अपनी
जी का जंजाल समझते हैं

दो वक्त की रोटी का
 सम्मान तो छोड़ो 
दो बोल प्यार से बोलना भी
अपना अपमान समझते है

हिस्सा रहा जबतक हमारा जायजात पर
ये भगवान की तरह हमें पूजते रहे
जबसे खाली हुई झोली हमारी
तबसे हम जिंदगी के लिए जूझते रहे

©Dr Yatendra Gurjar
  #Likho

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