जख्म कुरेद कर दर्द को जिंदा कर रहा हूं मै इंसानियत के घोंसले मे मर रहा हूं मै ओर आसमान से पूछ तू उड़ान मेरी आगोश मे इसके घर कर रहा हूं मै हर जज्बात की कीमत है तय यहां तो फिर एक बार ओर किससे नाराज हो रहा हूं मै हंसी आती है किरदार पर अपने बेआवाज जो हो रहा हूं मै। ©SANJAY