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छठ पूजा घर आँगन में यह प्रस्ताव है 'छठ बेटी का' उस

छठ पूजा
घर आँगन में यह प्रस्ताव है
'छठ बेटी का'
उस बेटी का जो, 
अपने घर से, परम् अपने घर पाँव रखती है
जिसका समाज में प्रत्यक्ष पदार्पण होता है
जो अपने बेटिपन में छठी मईया को पाती है
जिसे आभास है कि, 
परंपरा महत्वपूर्ण दृष्टिकोण का निचोड़ है
इसलिए जीवित है।
यह सब जन हिताय, सब जन सुखाय है,
इसलिए स्वीकृति है।
यह नारी कोमलता व समर्पण का वो आवश्यक रूप है
जिसे मानने वालों में वो स्वयं भी है,
इसलिए आत्मसात है।
बेटी छठ जीती है
मिश्रित होती है
अपने स्वभाव में प्रकृति संग रखकर
ऊर्जावान बनाती है 
घर आँगन को सिमित नेतृत्व दे कर।
वैसे तो, अनेक अवसरवादी है,
सनातन धर्म,
लेकिन छठ विशिष्ट लोकपर्व है
इसमें नारी नेपथ्य कल्याणकारी रूप में दिखता है।
तो दोस्तों 'छठ' किसका?
उसका, जिसका अच्छेपन में दान हुआ।
( पुनः प्रकाशित ) मूल तत्व मत छोड़िये,सत्य रहिये।दिखावा भर मत कीजिये।दिखावा दिख जाता है।
सर्वकामना पूर्ति उद्देश्य मत रखिये,मूल पकड़िये डर है तो।अब यह भी पूछियेगा किसका डर।कवि का।जहां न पहुंचे रवि,वहां पहुंचे.........


छठ पूजा
घर आँगन में यह प्रस्ताव है
'छठ बेटी का'
उस बेटी का जो,
छठ पूजा
घर आँगन में यह प्रस्ताव है
'छठ बेटी का'
उस बेटी का जो, 
अपने घर से, परम् अपने घर पाँव रखती है
जिसका समाज में प्रत्यक्ष पदार्पण होता है
जो अपने बेटिपन में छठी मईया को पाती है
जिसे आभास है कि, 
परंपरा महत्वपूर्ण दृष्टिकोण का निचोड़ है
इसलिए जीवित है।
यह सब जन हिताय, सब जन सुखाय है,
इसलिए स्वीकृति है।
यह नारी कोमलता व समर्पण का वो आवश्यक रूप है
जिसे मानने वालों में वो स्वयं भी है,
इसलिए आत्मसात है।
बेटी छठ जीती है
मिश्रित होती है
अपने स्वभाव में प्रकृति संग रखकर
ऊर्जावान बनाती है 
घर आँगन को सिमित नेतृत्व दे कर।
वैसे तो, अनेक अवसरवादी है,
सनातन धर्म,
लेकिन छठ विशिष्ट लोकपर्व है
इसमें नारी नेपथ्य कल्याणकारी रूप में दिखता है।
तो दोस्तों 'छठ' किसका?
उसका, जिसका अच्छेपन में दान हुआ।
( पुनः प्रकाशित ) मूल तत्व मत छोड़िये,सत्य रहिये।दिखावा भर मत कीजिये।दिखावा दिख जाता है।
सर्वकामना पूर्ति उद्देश्य मत रखिये,मूल पकड़िये डर है तो।अब यह भी पूछियेगा किसका डर।कवि का।जहां न पहुंचे रवि,वहां पहुंचे.........


छठ पूजा
घर आँगन में यह प्रस्ताव है
'छठ बेटी का'
उस बेटी का जो,

मूल तत्व मत छोड़िये,सत्य रहिये।दिखावा भर मत कीजिये।दिखावा दिख जाता है। सर्वकामना पूर्ति उद्देश्य मत रखिये,मूल पकड़िये डर है तो।अब यह भी पूछियेगा किसका डर।कवि का।जहां न पहुंचे रवि,वहां पहुंचे......... छठ पूजा घर आँगन में यह प्रस्ताव है 'छठ बेटी का' उस बेटी का जो, #musings #yqdidi #YourQuoteAndMine #छठपूजा #miscellaneous #विप्रणु