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मैं घर से निकला हु सफर में मंजिल की तलाश में, धूप

मैं घर से निकला हु सफर में मंजिल की तलाश में,
धूप बहुत थी तो मैं छाव के पीछे निकल गया।
मैने किया था पँछी पिंजरे में कैद,
मगर वो बन्द पिंजरे से निकल गया।
उसका घर था दरिया पार,
ओर मैं उससे मिलने को कस्ती लेकर निकल गया।
उसने कहा मेरी दुनिया से निकल जाओ ,
तो मैं खुद की कहानी से ही निकल गया ।
नुक्कड़ पर बैठ कर सिगरेट के कस्त लेते हुए,
जब मैने उसको किसी ओर के साथ देखा,
मेरे मुँह से तो कुछ नही निकला मगर आँखों से आँसू निकल गया

©verma sahab #shayari
#shayariquotes
#poets
#trendshayri
#poetry
#poetrylovers
#hindipoetry
#hindiWriting
मैं घर से निकला हु सफर में मंजिल की तलाश में,
धूप बहुत थी तो मैं छाव के पीछे निकल गया।
मैने किया था पँछी पिंजरे में कैद,
मगर वो बन्द पिंजरे से निकल गया।
उसका घर था दरिया पार,
ओर मैं उससे मिलने को कस्ती लेकर निकल गया।
उसने कहा मेरी दुनिया से निकल जाओ ,
तो मैं खुद की कहानी से ही निकल गया ।
नुक्कड़ पर बैठ कर सिगरेट के कस्त लेते हुए,
जब मैने उसको किसी ओर के साथ देखा,
मेरे मुँह से तो कुछ नही निकला मगर आँखों से आँसू निकल गया

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sudhanshuverma8472

verma sahab

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