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जनाब, दिल तो एक ही है हजारो पे कैसे आएगा प्यार


जनाब,
 दिल तो एक ही है 
हजारो पे कैसे आएगा 
प्यार तो एक ही से होता है 
अगर हजारो से हो गया 
तो ऐसा प्यार, 
प्यार कैसे कहलाएगा
 जनाब ।
       
           शिवानी चौधरी Fourth poetry

जनाब,
 दिल तो एक ही है 
हजारो पे कैसे आएगा 
प्यार तो एक ही से होता है 
अगर हजारो से हो गया 
तो ऐसा प्यार, 
प्यार कैसे कहलाएगा
 जनाब ।
       
           शिवानी चौधरी Fourth poetry