जनाब, दिल तो एक ही है हजारो पे कैसे आएगा प्यार तो एक ही से होता है अगर हजारो से हो गया तो ऐसा प्यार, प्यार कैसे कहलाएगा जनाब । शिवानी चौधरी Fourth poetry