नन्हा सा एक पौधा जब। पेड़ की शक्ल लेने लगा।। पता लगा न माली को भी, कब रूख गया वो सूख गया।। क्या हुई गलती,कहाँ कमी रही, माली का साहस टूट गया।। खोट रहा ये माली का, या अंकुर ही समझे खोटा था।। सपने हुए सब चूर-चूर, जो बुनता था संजोता था।। गहन चिंतन का विषय जनाब, अब घर-घर में ये होने लगा।। नन्हा सा एक पौधा जब, पेड़ की शक़्ल लेने लगा।। #नवयौवन #नन्हा_सा_एक_पौधा #adolescence #हिंदी