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चंडाल चौकड़ी बसती है कलयुगी इस समाज में, बुरा भला च

चंडाल चौकड़ी बसती है कलयुगी इस समाज में,
बुरा भला चाहे कुछ करलो रोड़े डाले हर काज में।

लगाते बंदिश तय करते दायरे, पंखो को काटे,
न धर्म कोई न इमां होता खोटे होते मिज़ाज में।

जगह अछूती नहीं कोई इनसे हर चौबारे हैं धाम,
ख़ुद को ही ये पूजे हैं बस, बेईमानी हर अंदाज़ में।

लूटमार, दहशतग़र्दी, कालाबाज़ारी, देशद्रोही,
ये दाग से उजले कपड़ो में फ़रेब इनका साज़ है।

अपनों के भेस में भी रहते होंठों से छलकाते रस,
दिल के काले होते हैं दे बद्दुआ हर नियाज़ में।

न रहम दिलों में पलते हैं, सीने में पत्थर रखते हैं,
रूहों को हैं ये दहलाते, न बंदिशों के मोहताज़ हैं।— % & साज़ -अस्त्र शस्त्र 

♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_427

👉 चण्डाल चौकड़ी मुहावरा का अर्थ - बुरे लोगों का समूह

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)
चंडाल चौकड़ी बसती है कलयुगी इस समाज में,
बुरा भला चाहे कुछ करलो रोड़े डाले हर काज में।

लगाते बंदिश तय करते दायरे, पंखो को काटे,
न धर्म कोई न इमां होता खोटे होते मिज़ाज में।

जगह अछूती नहीं कोई इनसे हर चौबारे हैं धाम,
ख़ुद को ही ये पूजे हैं बस, बेईमानी हर अंदाज़ में।

लूटमार, दहशतग़र्दी, कालाबाज़ारी, देशद्रोही,
ये दाग से उजले कपड़ो में फ़रेब इनका साज़ है।

अपनों के भेस में भी रहते होंठों से छलकाते रस,
दिल के काले होते हैं दे बद्दुआ हर नियाज़ में।

न रहम दिलों में पलते हैं, सीने में पत्थर रखते हैं,
रूहों को हैं ये दहलाते, न बंदिशों के मोहताज़ हैं।— % & साज़ -अस्त्र शस्त्र 

♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_427

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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