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दर्द की धुन पर थिरकती जा रही है जिन्दगी मुठ्ठी मे

दर्द की धुन पर थिरकती जा रही है जिन्दगी 
मुठ्ठी में भरी रेत की तरह फिसलती जा रहीं हैं जिन्दगी 

सब्र करे तो कितना करे इंसा यहां 
कुदरत भी बेइंतहा सितम ढा रही है # जिन्दगी #कुदरत #रेतसी#poonam #poetry
दर्द की धुन पर थिरकती जा रही है जिन्दगी 
मुठ्ठी में भरी रेत की तरह फिसलती जा रहीं हैं जिन्दगी 

सब्र करे तो कितना करे इंसा यहां 
कुदरत भी बेइंतहा सितम ढा रही है # जिन्दगी #कुदरत #रेतसी#poonam #poetry