मनुष्य का जीवन दुर्बल अवसरों से सफेद परिपूर्ण रहता है प्रभु कृपा से कोई उनका सदुपयोग कर जीवन लक्ष्य की प्राप्ति से राजस्थान से कर लेता है और कोई उन से वंचित होकर अपने मूल्य का उत्तर से भटक कर पश्चाताप के चौराहे पर ही दुर्ग भ्रमित हो खड़ा रहता है ईश्वर मनुष्य को पल-पल जीवन विकास के अवसर सुलभ करता रहता है लेकिन फिर भी कम और सार्थकता के अभाव में जीवन के अविवेस्ट को प्राप्त करने वाला अवसर हमसे चूक जाता है कम कर्म की प्रतियोगिता तथा गंदगी और समर्पण निष्ठा ही ईशा कृपा का भोजन बनाती है उचित अवसरों के सम्मुख लब्दा के बाद जीवन की सार्थकता सिद्ध होती है कुछ और सर पर बोतल की ओर से मनुष्य को उपहार में मिलते हैं जबकि अनेक अवसरों का सृजन मनुष्य स्वयं अपने पुरुष विक्रम संघर्ष एवं जिस प्रकार कोई मूल्यवान बिजली व धरती पर वह जाने से किसी भी अपनी गुणवत्ता पर बुद्धा और प्रभाव को प्रसारित करने में सफल नहीं हो पाता उसी प्रकार उचित अवसरों का लाभ न लिए जाने पर मनुष्य अपने जीवन के महानता लक्ष्य से भी वंचित रह सकता है अवसर प्रेम पर देवदत्त की तरह होते हैं वही उसी को उपकृत करते हैं जिनका हृदय एवं मस्तिक हो ने उन्हें पर पानी के लिए सतत पर्यटन और सहज रहता है ©Ek villain #अवसर मानव जीवन में #Nofear