Nojoto: Largest Storytelling Platform

White सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी और एक चिड़ि

White सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी
और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।

मैंने धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई दोगी उधार
चिड़िया से कहा: थोड़ी मिठास उधार दोगी?

मैंने घास की पत्ती से पूछा: तनिक हरियाली दोगी—
तिनके की नोक-भर?
शंखपुष्पी से पूछा: उजास दोगी—
किरण की ओक-भर?

मैंने हवा से मांगा: थोड़ा खुलापन—बस एक प्रश्वास,
लहर से: एक रोम की सिहरन-भर उल्लास।
मैंने आकाश से मांगी
आँख की झपकी-भर असीमता—उधार।

सब से उधार मांगा, सब ने दिया ।
यों मैं जिया और जीता हूँ
क्योंकि यही सब तो है जीवन—
गरमाई, मिठास, हरियाली, उजाला,
गन्धवाही मुक्त खुलापन,
लोच, उल्लास, लहरिल प्रवाह,
और बोध भव्य निर्व्यास निस्सीम का:
ये सब उधार पाये हुए द्रव्य।

©"SILENT" #Sad_shayri  Anshu writer  Shalu  I_surbhiladha  Mrs.Doniaaa Sharma  T4_tanya_
White सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी
और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।

मैंने धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई दोगी उधार
चिड़िया से कहा: थोड़ी मिठास उधार दोगी?

मैंने घास की पत्ती से पूछा: तनिक हरियाली दोगी—
तिनके की नोक-भर?
शंखपुष्पी से पूछा: उजास दोगी—
किरण की ओक-भर?

मैंने हवा से मांगा: थोड़ा खुलापन—बस एक प्रश्वास,
लहर से: एक रोम की सिहरन-भर उल्लास।
मैंने आकाश से मांगी
आँख की झपकी-भर असीमता—उधार।

सब से उधार मांगा, सब ने दिया ।
यों मैं जिया और जीता हूँ
क्योंकि यही सब तो है जीवन—
गरमाई, मिठास, हरियाली, उजाला,
गन्धवाही मुक्त खुलापन,
लोच, उल्लास, लहरिल प्रवाह,
और बोध भव्य निर्व्यास निस्सीम का:
ये सब उधार पाये हुए द्रव्य।

©"SILENT" #Sad_shayri  Anshu writer  Shalu  I_surbhiladha  Mrs.Doniaaa Sharma  T4_tanya_