"आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मन्त्रमैथुनभेषजम्। दानमानापमानं च नवैतानि सुगोपयेत्।।" अर्थात-"हर व्यक्ति को अपनी आयु, गृह के दोष, मन्त्र, मैथुन, धन, दान, औषधि, मान-सम्मान, अपने अपमान, अपनी योग्यता को हमेशा सभी से छुपाकर ही रखना चाहिए अन्यथा कभी भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।" #Friday ©Nishant Kumar #thought