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"आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मन्त्रमैथुनभेषजम्। दानमान

"आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मन्त्रमैथुनभेषजम्।
दानमानापमानं च नवैतानि सुगोपयेत्।।"

अर्थात-"हर व्यक्ति को अपनी आयु, गृह के दोष, मन्त्र, मैथुन, धन, दान, औषधि, मान-सम्मान, अपने अपमान, अपनी योग्यता को हमेशा सभी से छुपाकर ही रखना चाहिए अन्यथा कभी भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।"

#Friday

©Nishant Kumar #thought  Aadarsha singh Shailja S Ritika Shaw A@isha Rana
"आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मन्त्रमैथुनभेषजम्।
दानमानापमानं च नवैतानि सुगोपयेत्।।"

अर्थात-"हर व्यक्ति को अपनी आयु, गृह के दोष, मन्त्र, मैथुन, धन, दान, औषधि, मान-सम्मान, अपने अपमान, अपनी योग्यता को हमेशा सभी से छुपाकर ही रखना चाहिए अन्यथा कभी भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।"

#Friday

©Nishant Kumar #thought  Aadarsha singh Shailja S Ritika Shaw A@isha Rana
nishantkumar1497

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