नाम पहचान है अस्तित्व है । समाज कि स्वीकृति है इसे यू बदनाम ना करो, ता-उम्र लगा जाती है । नाम कमाने में तुम्हें कतई लाज नहीं आती इसे , यू गंवाने में। कितने प्यार से माँ बाप नाम रखते हैं बच्चों का फिर...... सोचो उन पर क्या गुजारती होगी जब उनके दिए नाम को बदनामी मिलती होगी दो पल कि खुशी के लिए तुम किसी का नाम बिगाड देते हो किसी को मद्रासी तो किसी को कलावा पुकारते हो मैं कहता हूँ जरूरत क्या है इसकी उसको उसकी पहचान से पुकारो उसके नाम से पुकारो कभी सोचा है तुमने उस पर क्या गुजारती होगी सुन अपने उस बे-ढंगी नाम को दिल पर क्या बीती होगी रख खुद को उसकी जगाह पर एक बार सोचो अगर सही लगे तो उसको दे -दो हज़ारों नाम पर किसी के पहचान पर ? ना लगाओ एक मिनट कि ठिठोली, और पूरे अस्तित्व की होली अगर मिलेंगे चार लोग आपस में, वहां कुछ महानुभाव अपना प्रभाव छोडने के लिए खेलते है जज्बात- ए- पहचान के साथ महफिलों में, बिना समाज की स्वीकृति के साथ नाम पहचान है अस्तित्व है । समाज कि स्वीकृति है ।। नाम पहचान है अस्तित्व है । समाज कि स्वीकृति है इसे यू बदनाम ना करो, ता-उम्र लगा जाती है । नाम कमाने में तुम्हें कतई लाज नहीं आती इसे ,