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मैं क्या ढूढूं किसे मनाऊं राम मिलाए जो पा जाऊं जब

मैं क्या ढूढूं किसे मनाऊं
राम मिलाए जो पा जाऊं
जब छायेगी घोर उदासी
आएगा ही कोई साथी
भूख भयंकर लग जायेगी
मारूगा या फिर मिट जायेगी
मेरे मन बसे है जब तक 
जायेगे ना रुक पाएंगे

©दीपेश
  #मेरेराम